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The Passion of a fan of Mohammad Rafi










मोहम्मद रफ़ी की चाहत का जुनून
(मोहम्मद रफ़ी को दीवानगी की हद चाहनेवाले एक शख्स की दास्ताँ).



उमेश मखीजा के घर में घड़ी के काँटे रफ़ी साहब की मौत के वक्त पर रुके हुए हैं
मोहम्मद रफ़ी एक ऐसा नाम है जिसे शायद ही कोई न जानता हो. कई दशकों तक उन्होंने बेहतरीन फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी गाने गाए. वैसे तो उनके चाहने वालों की कोई गिनती ही नहीं पर कुछ लोग उन्हें भगवान का दर्जा देते हैं और पूजते हैं.
ऐसे ही एक शख्स हैं अहमदाबाद के उमेश मखीजा. कपड़े का व्यापार करने वाले मखीजा रफ़ी को दीवानगी की हद तक चाहते हैं. उनके दीवानेपन की हद यह है कि अपने मकान का एक कमरा उन्होंने रफ़ी के नाम कर रखा है.



इस कमरे का दर्जा मंदिर का है और यहाँ पर हर चीज़ पर रफ़ी का नाम है. इस कमरे की घड़ी उस वक़्त पर यानी 10 बज कर 29 मिनट पर रुकी हुई है जब 31 जुलाई, 1980 में रफ़ी साहब ने अंतिम सांस ली थी.
कमरे में हर जगह रफ़ी की तस्वीरें हैं. चाहे वो स्पीकर हो, लैंप हो या फिर कुछ और.
कमरे के बेड पर बिछाई चादर पर रफ़ी के गाए गए नग़मों के बोल प्रिंट किए हुए हैं और दो तकियों पर रफ़ी के जन्म और मौत की तारीख़ लिखी हुई है.
दीवानगी
एक कोने में रफ़ी की मज़ार की मिट्टी भी पड़ी हुई है.

मोहम्मद रफ़ी के परिवार की तस्वीर के साथ उमेश मखीजा
उमेश कहते हैं, “सन 1978 में रफ़ी साहब के एक गीत को सुनकर मैने अंदर तक कुछ महसूस किया और उसके बाद पता नहीं कब हम एक दूसरे की ओर खिंचते चले गए.''
उनका कहना, ''मैं चाहता हूँ कि मेरा यह कमरा ऐसा हो कि जिस तरह लोग अहमदाबाद में महात्मा गाँधी के साबरमती आश्रम को देखने जाते हैं वैसे ही वो रफ़ी साहब के दर्शन के लिए आएं.”
उमेश के पास मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाए चार हज़ार से ज़्यादा गीतों का भंडार है. इनमें कुछ ऐसे गाने है जिनका मिलना बहुत मुश्किल है.
ये गाने हिंदी, पंजाबी, सिंधी, गुजराती और अन्य भाषाओं में हैं. यहाँ तक की दो गीत तो अंग्रेजी में भी गाए गए हैं.
'रफ़ीवार'
उमेश रविवार को रफ़ीवार की तरह मनाते हैं. इस रोज़ दोपहर में दो से पाँच बजे तक कोई भी उनके घर जा कर रफ़ी साहब पर बात कर सकता है और उनके गीत सुन सकता है.

रफ़ी के नगमे घर की चादरों तक पर लिखे हैं
उमेश मखीजा कहते हैं, “मैं जीते जी रफ़ी साहब को तो अपने घर नहीं ला सका पर उनको हर वक़्त अपने करीब चाहता हूँ.”
उमेश के इस जुनून में उनके परिवार का भी पूरा सहयोग है.
उनका कहना है, “परिवार के सहयोग के बिना तो मैं कुछ भी नहीं कर सकता. मेरी पत्नी पूनम रफ़ी साहब के कमरे की सफ़ाई सबसे पहले करती हैं और मेरे बच्चे भी उस कमरे को एक मंदिर की तरह रखने में मेरा सहयोग करते हैं.”
उनका दावा है कि भारत में प्लेबैक सिंगर तो बहुत आए पर रफ़ी साहब प्लेबैक एक्टर थे यानी वो हर एक्टर के लिए अलग अंदाज़ में गाते थे.
रफ़ी के इस दीवाने ने रफ़ी पर जारी की गई डाक टिकट से लेकर उनपर छपे लेख तक इकट्ठे कर रखे हैं.
आज उमेश के पास रफ़ी के जीवन और गीतों पर बेशुमार जानकारियाँ हैं.

2 comments

A S MURTY said...

Hats Off to Makhijaji. You are a true Bhakt of Rafi Sahab. It is my misfortune that despite having lived in Ahmedabad from 1978 to early 1980, I never knew of this "mandir of Rafi Sahab" and could not visit it. Whenever I visit Ahmedabad, it will be for paying a visit to this great gentleman Makhijaji and the temple built by him and his family. ABADRAFI is the Hyderabad Chapter of the Rafi Foundation and we pay our floral tributes to Makhijaji on this occasion. Please give me the email id and phone number of Mr. Makhija so that I can personally talk to him. Thanks.

A S MURTY said...

I give my email id and phone numbers as under :
rafimurty@gmail.com
abadrafi@gmail.com
Mob. 09391267272

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