Tuesday, April 29, 2008

filmi couples on screen and in real life

फ़िल्मी रोमांस, असली जोड़ियाँ
ऐसा क्यों होता है कि रुपहले परदे पर कुछ जोड़ियों को देख कर यह अहसास होता है जैसे उनका प्रेम प्रदर्शन दिखावटी या बनावटी नहीं है.
लगता है जैसे वे बने ही एक दूसरे के लिए हैं.
इसी को शायद केमिस्ट्री कहते हैं. यानी दो व्यक्तियों का एक दूसरे से लगाव उनके अभिनय से ही नहीं उनकी भाव-भंगिमा से भी झलकता है.
जानकार कहते हैं कि यह तभी मुमकिन हो पाता है जब अभिनय करने वाले उन लोगों का असली ज़िंदगी में भी एक दूसरे से भावनात्मक लगाव होता है और वही परदे पर भी साफ़ दिखाई देने लगता है.
आइए ऐसी ही कुछ फ़िल्मी जोड़ियों पर एक नज़र डालें जो असलियत में भी एक दूसरे के बहुत क़रीब रही हैं.
राज कपूर-नरगिस
इस जोड़ी ने परदे पर प्रेम को एक नई परिभाषा दी.
दोनों ने कुल सोलह फ़िल्मों में साथ काम किया और भारत में ही नहीं विदेशों में भी यह जोड़ी काफ़ी लोकप्रिय हुई.
बाद में नरगिस ने सुनील दत्त से शादी कर ली और न केवल आरके फ़िल्म्स को बल्कि फ़िल्मी दुनिया को ही अलविदा कह दिया.
देव आनंद-सुरैया
सुरैया और देवानंद ने विद्या, जीत, शायर, दो सितारे और सनम जैसी कई फ़िल्मों में एक साथ काम किया और फिर उनकी एक रोमांटिक जोड़ी ही बन गई.
सुरैया, जो एक मशहूर गायिका भी रही हैं, उस ज़माने के देवानंद को एक ऐसा ख़ूबसूरत, गबरू जवान बताती हैं जिसके चेहरे से लड़कपन झलकता था.
उधर देवानंद सुरैया से इतने प्रभावति थे कि उन्होंने ख़ुद को सुरैया के आदर्श पुरुष हॉलीवुड के अभिनेता ग्रेगरी पेक के साँचे में ढालने की पूरी कोशिश की.
इस रोमांस की परिणति तब हुई जब देवानंद ने सुरैया से शादी का प्रस्ताव किया और उन्हें हीरे की अंगूठी भेंट में दी.
कहा जाता है कि सुरैया की नानी ने वह अंगूठी समुद्र में फेंक दी.
दिलीप कुमार-मधुबाला
यह एक और ऐसी जोड़ी थी जिसके रोमांस को घरवालों की नज़र लग गई और इस मामले में मधुबाला के पिता अताउल्ला ख़ान आड़े आए.
मधुबाला के क़रीब रहीं पत्रकार गुलशन ईविंग कहती हैं, उनकी ज़ुबान पर एक ही नाम होता था-यूसुफ़.
बीआर चोपड़ा की नया दौर के दौरान दोनों के रिश्तों में कड़वाहट आई जब मधुबाला के पिता ने उन्हें दिलीप कुमार के साथ आउटडोर शूटिंग में जाने की इजाज़त नहीं दी.
मामला इतना बढ़ा कि अदालत तक पहुँच गया और दिलीप कुमार को वहाँ उनके ख़िलाफ़ गवाही देनी पड़ी.
बाद में इस फ़िल्म में वैजयंती माला को हीरोइन के तौर पर साइन कर लिया गया.
इस के बाद भी दिलीप कुमार और मधुबाला ने मुग़ले आज़म में काम किया लेकिन रिश्तों में इतनी खटास आ गई थी कि कहा जाता है कि दोनों सेट पर एक दूसरे से बात भी नहीं करते थे.
गुरु दत्त-वहीदा रहमान
वहीदा रहमान को गुरु दत्त ने सीआईडी में पहली बार साइन किया. बाद में इस जोड़ी ने प्यासा, काग़ज़ के फूल और चौदहवीं का चाँद में एक साथ काम किया.
कहते हैं काग़ज़ के फूल तो एक तरह से गुरु दत्त की आत्मकथा ही थी.
दोनों आख़िरी बार साथ साहिब, बीबी और ग़ुलाम में आए और फिर गुरु दत्त ने 1964 में आत्महत्या ही कर ली.
अजय देवगन-काजोल
काजोल और अजय की मुलाक़ात हलचल के सेट पर हुई और जैसाकि काजोल का कहना है, मैं जानती थी कि मेरे लिए वही है. यह सब कुछ बहुत ही स्वाभाविक था.
दोनों की कई फ़िल्में हालाँकि अच्छा व्यापार नहीं कर पाईं लेकिन इश्क़ और प्यार तो होना ही था, हिट रहीं.
शादी के बाद दोनों ने प्रकाश झा की दिल क्या करे और अपने ही प्रोडक्शन में बनी राजू चाचा में काम किया.
काजोल हाल ही में माँ बनी हैं और अजय अपनी व्यस्तता के बावजूद काफ़ी समय बच्ची के साथ गुज़ारते हैं.
जोड़ियाँ और भी बनीं. अमिताभ बच्चन-रेखा, ऐश्वर्या राय-सलमान ख़ान और शम्मी कपूर-गीताबाली वग़ैरह...
फ़िल्म दर्शकों ने बार-बार यह दिखा दिया कि असली जीवन में एक दूसरे के क़रीब होने वालों को उन्होंने फ़िल्म के परदे पर भी दिल से स्वीकार किया है.

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